पीसीओडी और पीसीओएस के लिए योगासन: आचार्य मुक्तरथ जी से जानें।
पीसीओडी में योग: एक प्रभावी चिकित्सा पद्धति

अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के पवित्र अवसर पर, हम एक महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा करना चाहते हैं – योग अभ्यासों से पीसीओडी समस्या का समाधान

आज, आचार्य मुक्तरथ जी, जो सत्यानन्द योग मिशन के अध्यक्ष हैं, हमें बताएंगे कि कैसे योग आपको पीसीओडी (PCOD) में मदद कर सकता है।

छह दर्शन में महर्षि पातञ्जलि का योग दर्शन अति विशिष्ट और ईश्वर के प्रति समर्पण को व्यक्त करता है। योग का तात्पर्य तो आत्मा से परमात्मा का मिलन है पर इसकी साधना मनुष्य के जीवन स्तर को उच्च बनाने, स्वास्थ्य का संवर्धन करने, आयु वृद्धि, बल वृद्धि और रोग का नाश करने वाला बताया गया है। यह शरीर को निरोग तथा मन को संतुलित रखने की साधना है, जिसको करने से आत्म ज्योति प्रस्फुटित होती है। वर्तमान समय में योग रोगनिवारण की एक कारगर चिकित्सा पद्धति के रूप में उभर कर सामने आ रही है।

इस संदर्भ में हम आज महिलाओं की एक बढ़ती समस्या पॉलिसिस्टिक ऑवरी सिन्ड्रोम(पीसीओडी) में योग के प्रभाव की जानकारी दे रहे हैं। गलत जीवनशैली,खान-पान की गड़बड़ियाँ और तनाव इस रोग के प्रमुख कारण हैं। इस बीमारी में ऑवरी में छोटे-छोटे ढेर सारे गाँठ (शिस्ट) बनने लगते हैं, जिस वजह से मासिक धर्म अनियमित होने लग जाता है। कभी कभी तो तीन-तीन,चार-चार महीने तक रज:स्राव नहीं होता है। मासिक धर्म के समय पेट के निचले हिस्से में (पेड़ू ) लगातार कई दिनों तक तेज दर्द का होते रहना, सिर दर्द और तनाव मुख्य लक्षण हैं। यदि इस तरह की समस्या पर गंभीरता से ध्यान नही दिया जाये तो ये गनेरिया जैसी समस्या को भी ला सकता है।

योग के द्वारा मासिक धर्म की अनियमितता और हार्मोन के असंतुलन को पूरी तरह से ठीक किया जा सकता है। कुछ अवधि तक लगातार आसन, प्राणायाम, षट्कर्म के अभ्यास और ध्यान करने से गर्भाशय में शिस्ट का बनना रुक जाता है और शिष्ट समाप्त होने लगता है। पीसीओडी की समस्या में पेट का अच्छा रहना,मन की स्फूर्ति, खुश रहना और तनावमुक्त रहना बहुत जरूरी है।

अब हम इन बीमारियों के रोकथाम के लिए खास-खास योग की चर्चा करेंगे जो प्रमुख हैं और पीसीओडी की समस्या में बहुत लाभदायक है।

तितली आसन, स्कंध संचालन, मेरुवक्रासन, चक्की चालनासन, नौका संचालन, सेतु आसन, बज्रासन, शशांकासन, मार्जारी आसन, व्याघ्रासन, योगमुद्रा, विपरीतकरनी मुद्रा, हलासन, मत्स्यासन, उदर श्वसन, नाड़ीशोधन, कपालभाति और भ्रामरी प्राणायाम तथा योगनिद्रा बहुत लाभदायक है।

– आचार्य मुक्तरथ, अध्यक्ष, सत्यानन्द योग मिशन, राँची

पीसीओडी क्या हैं? कारण और उपचार

पीसीओडी एक आम महिला समस्या है जो आपके मासिक धर्म के अनियमित होने, शारीरिक दर्द, मानसिक तनाव, और अन्य लक्षणों के साथ आपको परेशान कर सकती है। इसका मुख्य कारण खराब लाइफस्टाइल, खानपान और तनाव हैं। इस रोग के लिए उपचार करने के लिए, आपको योग के अद्वितीय लाभों का सहारा लेना चाहिए।

योग का हमारे जीवन में महत्व

योग का उद्भव भारतीय सभ्यता में हुआ है और यहां से पूरी दुनिया में फैला है। योग के प्राचीन ग्रंथों में विभिन्न योग प्रकारों के विवरण मिलते हैं और इसका अभ्यास आजकल दुनिया भर में बहुत प्रचलित है।

भारत विश्व योग दिवस के रूप में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और योग के अध्यात्मिक और शारीरिक लाभों को दुनिया तक पहुंचाने का काम करता है। योग भारतीय संस्कृति, दर्शन और जीवनशैली का महत्वपूर्ण हिस्सा है और यहां के लोग योग को एक प्राथमिकता के रूप में ग्रहण करते हैं।

योग हमें शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य की पूर्णता की ओर ले जाता है और हमें स्वस्थ, संतुलित और समृद्ध जीवन जीने में मदद करता है। योग द्वारा हम अपनी अंतर्यात्मा की पहचान कर सकते हैं और अपने जीवन को समृद्ध कर सकते हैं।

योग एक प्राचीन भारतीय विज्ञान है जो मानव शरीर, मन और आत्मा के संबंध को समझने और संतुलित करने के लिए उपयोगी तकनीकों का अध्ययन करता है। योग न केवल शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ाने में मदद करता है, बल्कि मानसिक शांति और आत्मा के साथ संगठित जीवन को प्राप्त करने में भी मदद करता है।

योगासन, प्राणायाम, ध्यान और धारणा के माध्यम से, योगा हमें अपने संयम, शक्ति और आत्म-प्रेम को विकसित करने में मदद करता है।

योगा पीसीओडी के इलाज में मदद कर सकता है जिसके कारण यह निम्नलिखित तरीकों से लाभकारी हो सकता है:
  1. हार्मोनल संतुलन : योगासन और प्राणायाम के द्वारा नियमित योगाभ्यास करने से हार्मोनल संतुलन में सुधार हो सकता है। योगा आसन और प्राणायाम आपके अंडाशय की समस्याओं को कम करने और हार्मोन्स को संतुलित करने में मदद करते हैं।
  2. स्थायित्व और तनाव कम करना : योगा आपको मानसिक तनाव को कम करने और स्थायित्व प्राप्त करने में मदद कर सकता है। योगिक आसनों और ध्यान के माध्यम से, योगा आपको स्थिर और शांत मन की स्थिति में रख सकता है, जो हार्मोनल असंतुलन को कम करने में मदद करता है।
  3. पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करना : योगा आसन जैसे कि पश्चिमोत्तानासन (उत्तानासन), बद्ध कोणासन (बटरफ्लाय पोज) और छक्की चलनासन (मिल चर्निंग) आपकी पेट की मांसपेशियों को सक्रिय कर सकते हैं और पीसीओएस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकते हैं।

योगाभ्यास को नियमित रूप से करने के लिए सब्र और संयम आवश्यक होता है। योगा के लाभ प्राप्त करने के लिए, एक योग निदेशक या चिकित्सक से सलाह लेना सर्वोत्तम हो सकता है।

पीसीओडी उपचार के लिए 4 प्रभावी योग आसन

बद्ध कोणासन (Butterfly Pose)

एक योगासन है जो पीसीओएस (PCOS) के लिए लाभकारी हो सकता है। यह आसन पीसीओएस के लक्षणों को कम करने, गर्भाशय की क्रिया को सुधारने और संतुलित हार्मोन स्तर को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह शरीर की थकान को कम करके मानसिक चिंता और तनाव को भी कम कर सकता है।

बद्ध कोणासन को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक योग माट या चटाई पर बैठें। अपने पैरों को सामने की ओर फैलाएं और उन्हें सुखासन के रूप में जोड़ें।
  2. अपने पैरों को धीरे-धीरे आपस में मिलाएं और उन्हें अपने शरीर के पास लाएं। आपके घुटनों को धीरे-धीरे नीचे की ओर ले जाएं ताकि आपके पैरों के तलवे आपस में मिलें।
  3. अब अपने हाथों को अपने पैरों की उंगलियों के आसपास सर्कलर आकार में घुमाएं। इससे आपके पैरों की कसरत होगी और आपके र्भाशय को स्थिरता मिलेगी।
  4. ध्यान दें कि आपकी पीठ सीधी और स्थिर रहे। अपनी कंधों को नीचे की ओर खींचें और अपनी छाती को समवेत रखें।
  5. इस स्थिति में कुछ समय तक बने रहें और गहरी सांस लें। ध्यान दें कि आपके श्वास सामान्य हो और शांत रहें।
  6. बद्ध कोणासन को प्रतिदिन कम से कम 5-10 मिनट तक करें।
नौका संचालनासन (Rowing the Boat Pose)

एक प्राणायाम और योगासन है जो पीसीओएस (PCOS) के लिए लाभकारी हो सकता है। यह आसन पेट की मांसपेशियों को मजबूत करने, पीसीओएस के लक्षणों को कम करने और सामान्य स्वास्थ्य और शारीरिक कला को सुधारने में मदद कर सकता है।

नौका संचालनासना को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक योग माट या चटाई पर बैठें। अपने पैरों को सीधा रखें और अपने हाथों को नीचे रखें।
  2. अब, अपनी पीठ को सीधा करें और सीधी संतान बनाए रखें। आपकी गर्दन सीधी होनी चाहिए और आपकी ऊँचाई स्थिर रखनी चाहिए।
  3. आपके हाथों को सीधा रखें और पैरों को सुभद्र रूप से तनावित रखें।
  4. अब, अपने श्वास के साथ धीरे-धीरे अपने हाथों को बाएं और दाएं तरफ घुमाएं, जैसे कि आप नौका चला रहे हों। इस प्रक्रिया को धीरे-धीरे करें और संगति को स्थिर रखें।
  5. ध्यान दें कि आपकी सांस सामान्य होनी चाहिए और आपको इस स्थिति में आराम से बना रहना चाहिए। इसे कुछ समय तक धारण करें और फिर समान रूप से वापस आएं।
  6. नौका संचालनासना को कम से कम 5-10 बार प्रतिदिन करना चाहिए। यह योगाभ्यास आपके पेट के मांसपेशियों को मजबूत करेगा, पीसीओएस के लक्षणों को कम करेगा और आपको शारीरिक और मानसिक संतुलन प्रदान करेगा।
चक्की चलानासन (Mill Churning Pose)

एक प्राणायाम और योगासन है जो पीसीओएस (PCOS) के लिए लाभकारी हो सकता है। यह आसन पीसीओएस के लक्षणों को कम करने, गर्भाशय की संतुलन को बनाए रखने और हॉर्मोनल तंत्र को संतुलित करने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह आपके पेट की चर्बी को कम करने और पाचन तंत्र को सुधारने में भी मदद कर सकता है।

चक्की चलानासन को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक योग माट या चटाई पर बैठें। अपने पैरों को सामने की ओर फैलाएं और उन्हें अपने पेट के आसपास घुमाएँ।
  2. अब, अपने हाथों को जोड़ें और उन्हें पेट के सामने रखें। आपके हाथ एक दूसरे के साथ संयोजित होने चाहिए और उन्हें नीचे की ओर दिखाई देना चाहिए।
  3. अब, अपने श्वास के साथ धीरे-धीरे अपने हाथों को बाईं ओर घुमाएं, जैसे कि आप चक्की को चला रहे हों। इसे करते समय आपको आंतरिक दृष्टि को संरक्षित रखना चाहिए।
  4. ध्यान दें कि आपकी पीठ सीधी और स्थिर रहे। अपनी कमर को सीधी और ऊंची करने का प्रयास करें।
  5. धीरे-धीरे अपनी सांस छोड़ें और आराम से वापस आएं। यह एक दौर बनाने के रूप में करें और फिर विपरीत दिशा में चक्की को चलाएँ।
  6. चक्की चलानासन को प्रतिदिन कम से कम 5-10 मिनट तक करें।
बितिलासन (Cat Cow Pose)

एक प्राणायाम और योगासन है जो पीसीओएस (PCOS) के लिए लाभकारी हो सकता है। यह आसन पीसीओएस के लक्षणों को कम करने, गर्भाशय की क्रिया को सुधारने और हॉर्मोनल संतुलन को बनाए रखने में मदद कर सकता है। इसके अलावा, यह आपके पेट की चर्बी को कम करने, पाचन तंत्र को सुधारने और मानसिक चिंता को कम करने में भी मदद कर सकता है।

बितिलासन को करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

  1. सबसे पहले, एक योग माट या चटाई पर बैठें। अपने हाथों और घुटनों को चटाई पर समवेत रखें।
  2. अपनी सांस को धीरे-धीरे बाहर निकालें और अपनी कमर को धीरे-धीरे नीचे की ओर झुकाएं। यह आपकी पीठ को उठाएगा और आपके पेट की मांसपेशियों को सक्रिय करेगा।
  3. अब, अपनी सांस को धीरे-धीरे अंदर लें और अपनी कमर को धीरे-धीरे ऊंची की ओर झुकाएं। इसके परिणामस्वरूप, आपकी पीठ को धीरे-धीरे नीचे खींचें।
  4. ध्यान दें कि आपकी गर्दन और सीधी रहे और आपकी चारण कमर से सटी हुई हों।
  5. इस स्थिति में कुछ समय तक बने रहें और गहरी सांस लें। आपके श्वास सामान्य हों और शांत रहें।
  6. बितिलासन को प्रतिदिन कम से कम 5-10 मिनट तक करें।

यदि आपको कोई दर्द या असुविधा महसूस होती है, तो कृपया योग निदेशक या चिकित्सक से परामर्श लें।

आप सभी से आग्रह करते हैं कि आप अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं और पीसीओडी जैसी समस्याओं को दूर करने के लिए इसे नियमित रूप से अभ्यास करें। योग हमारे जीवन को स्वस्थ, सुखी और समृद्ध बनाने का एक अद्वितीय तरीका है।

आप हमारे साथ जुड़े रहिए, हम अगले ब्लॉग में आपको बाकी योग आसनों के विषय में और विस्तार से बताएंगे।

आप सभी को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। योग से स्वस्थ रहें, प्रसन्न रहें। धन्यवाद।